निरर्थक आलोचना या झूठी निंदा का सही जवाब लडाई कभी नहीं हो सकती।
2.
हरानबाबू, झूठ बोलना पाप है, झूठी निंदा तो और भी बड़ा पाप है, और अपनी जाति की झूठी निंदा से बड़ा पाप शायद ही कोई हो! '' हरान गुस्से से बेचैन हो उठे।
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हरानबाबू, झूठ बोलना पाप है, झूठी निंदा तो और भी बड़ा पाप है, और अपनी जाति की झूठी निंदा से बड़ा पाप शायद ही कोई हो! '' हरान गुस्से से बेचैन हो उठे।
4.
यह एक स्वस्थ बहस नहीं है इस तरह की पत्रकारिता से बचना चाहिये, कम से कम बिना जाने बूझे सार्वजनिक परिसर में व्यक्तिगत स्तर पर उतर कर झूठी निंदा करना खुद स्वस्थ पत्रकारिता के सिद्धांत के खिलाफ है।
5.
सच्ची निंदा में ही भरोसा नहीं आता तो झूठी निंदा में तो कौन भरोसा करेगा? लेकिन अगर निंदा सच हो तो बड़े काम की है, क्योंकि तुम्हारी कोई कमी बता गई, तुम्हारा कोई अंधेरा पहलू बता गई ; तुम्हारा कोई भीतर का भाव छिपा हुआ, दबा हुआ प्रगट कर गई।
6.
वेदों की झूठी निंदा करने की यह मुहीम उन विभिन्न तत्वों ने चला रखी है जिनके निहित स्वार्थ वेदों से कुछ चुनिंदा सन्दर्भों का हवाला देकर हिन्दुओं को दुनिया के समक्ष नीचा दिखाना चाहते हैं | यह सब गरीब और अशिक्षित भारतियों से अपनी मान्यताओं को छुड़वाने में काफ़ी कारगर साबित होता है कि उनके मूलाधार वेदों में नारी की अवमानना, मांस-भक्षण, बहुविवाह, जातिवाद और यहां तक की गौ-मांस भक्षण जैसे सभी अमानवीय तत्व विद्यमान हैं |
7.
वेदों की झूठी निंदा करने की यह मुहीम उन विभिन्न तत्वों ने चला रखी है जिनके निहित स्वार्थ वेदों से कुछ चुनिंदा सन्दर्भों का हवाला देकर हिन्दुओं को दुनिया के समक्ष नीचा दिखाना चाहते हैं | यह सब गरीब और अशिक्षित भारतियों से अपनी मान्यताओं को छुड़वाने में काफ़ी कारगर साबित होता है कि उनके मूलाधार वेदों में नारी की अवमानना, मांस-भक्षण, बहुविवाह, जातिवाद और यहां तक की गौ-मांस भक्षण जैसे सभी अमानवीय तत्व विद्यमान हैं |